मध्य प्रदेश के  धार जिले की मनावर तहसील में स्थित बालीपुर धाम के महान संत श्री श्री 1008  गजाननजी महाराज को "बालीपुर वाले बाबा" के नाम से भी जाना जाता है।

बाबाजी का जन्म फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (होलिका पर्व) संवत् 1976 (5 मार्च 1920) को हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित घनश्यामजी भार्गव और माता का नाम श्रीमती कस्तूरी देवी थीं।

बाबाजी की प्रारंभिक शिक्षा बालीपुर में और आगे की पढ़ाई बड़वानी के ईगल कॉलेज से पूरी हुई। पंडित श्री मारुती शास्त्री  बाबाजी के आध्यात्मिक गुरु थे |

बाबाजी ने जीवनभर प्राणी मात्र की सेवा के लिए ब्रह्मचर्य का संकल्प लेकर सन्यास लिया व जीवनभर माँ अंबिका की साधना कर कई दुर्लभ सिद्धियाँ प्राप्त की |

बाबाजी ने  जनसेवा व मानव के आध्यात्मिक मार्गदर्शन के उद्देश्य से बालीपुर, बाकानेर व पीपली में आश्रम स्थापित किये |  बाबाजी हवन को देव उपासना का सर्वश्रेष्ट साधन मानते थे

बालीपुर आश्रम में हवन कुंड की अग्नि कई वर्षो से अनवरत प्रज्वलित है| वर्तमान में भी हर मासिक शुक्ल नवरात्री पर बहोत दिव्य व भव्य हवन होता है |

होलिका पर्व पर हर साल बाबाजी का जन्मोत्सव भव्य रूप से मनाया जाता है।

बालीपुर वाले बाबा ने आयुर्वेदिक औषधियों और यज्ञ की भभूति से असंख्य  पीड़ितों के असाध्य  रोगों का सफल उपचार किया।

बाबाजी 87 वर्ष और 14 दिन की दिव्य यात्रा पूरी करने के बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सोमवार, 19 मार्च 2007 को ब्रह्मलीन हो गए।

होलिका पर्व पर हर साल बाबाजी का जन्मोत्सव भव्य रूप से मनाया जाता है। जिसमें  शामिल होने के लिये देश विदेश से भक्तगण, नेता, अभिनेता व गणमान्य नागरिक आते है

वर्तमान में, श्री योगेशजी महाराज और श्री सुधाकरजी महाराज आश्रम की सेवा में निरंतर कार्यरत हैं और भक्तों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।